भारतीय नागरिक के मूल कर्तव्य आज के समय लगभग सभी देशों के संविधान में अपने नागरिकों के मूल कर्तव्यों का वर्णन किया गया है. ऐसे में देश के नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है कि वह देश के संविधान में दिए अपने कर्तव्यों को अपने जीवन में हमेशा पालन करता रहे. भारत के संविधान की बात करे तो इसका निर्माण कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया गया था. भारत के संविधान के निर्माण में संविधान सभा के सभी 389 सदस्यो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था.
भारत के संविधान में समय समय पर आवश्यकता के अनुसार कई परिवर्तन किये गये हैं जब कभी संविधान में परिवर्तन या संशोधन की आवश्यकता पड़ती है तो सबसे पहले एक संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहाँ इसे एक बिल के रूप में पेश किया जाता है. आपको बता दे कि भारतीय संविधान में अभी तक 123 बार संशोधन किया जा चुका है और आने वाले समय में इसे और भी बेहतर बनाने के लिए संशोधन किया जा सकता है.
नागरिकों में देशभक्ति की भावना को बनाये रखने के लिए साल 1976 में सरकार द्वारा गठित स्वर्णसिंह समिति की सिफारिशों पर भारतीय संविधान में नागरिकों के मूल कर्तव्य जोड़े गए थे. यह भारतीय संविधान में 42वां संशोधन था. पहले मौलिक या मूल कर्तव्यों की संख्या 10 थी. जिसे साल 2002 में 86वें संशोधन के दौरान बढ़ाकर 11 कर दी गयी थी. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय नागरिक के मूल कर्तव्य सोवियत संघ के संविधान से प्रेरित हैं. वर्तमान में भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य संविधान के भाग चार (क) अनुच्छेद 51 क के रूप में दिए गए हैं.
भारतीय नागरिक के मूल कर्तव्य
भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह
1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे.
2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्रदय में संजोए रखे और उनका पालन करे.
3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षूण बनाये रखे.
4. देश की रक्षा करे और आव्हान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे.
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रात्रतत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभावों से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों.
6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझे और उसका परिरक्षण करे.
7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव रखे.
8. वैज्ञानिक द्रष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जुन तथा सुधार की भावना का विकास करे.
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे.
10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी छेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू सके.
11. यदि माता पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करे.
तो अब आप भारतीय नागरिक के मूल कर्तव्य के बारे में जान गए होंगे. अगर आप एक भारतीय हैं तो आपको ऊपर बताये गए कर्तव्यों का पालन अपने दैनिक जीवन में जरुर करना चाहिए. ये मूल कर्तव्य सिर्फ पढ़ने, सुनने या बोलने के लिए नहीं बनाये गए हैं ये इसलिए बनाये गए हैं ताकि आप में देशभक्ति की भावना बनी रहे. अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी है तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे.
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Aap ke dawara Di ge jankari bahut achi v sarl bhasa me espast rup se samj me aae.
Thank you very much
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इसमें आपने सविधान के शुरू होने की दिनांक गलत लिख रखी है 9 दिसंबर 1946 होना था और आपने 9 दिसंबर 1947 लिख रखा है।
धन्यवाद